आखिर क्या कारण है कि कुछ लोग नींद में बड़बड़ाते है या बातें करते हैं? ऐसा माना जाता है कि लोग सपना देखते हैं, इसलिए बड़बड़ाते हैं। वास्तव में उन्हें इस बात का जरा सा भी अहसास नहीं होता कि सोते समय वो क्या करते हैं। आइए आज इस आर्टिकल के माध्यम से, नींद में बड़बड़ाने की समस्या के कारण, लक्षण और उसके इलाज के बारे में जानते है।
क्या आपका पार्टनर, परिवार के बाकी सदस्यों का ये कहना है कि आप रात में सोते समय नींद में बड़बड़ाते (sleep talking habit) हैं? आपकी इस नींद में बड़बड़ाने की समस्या से आपके साथ में सो रहे लोगों को भी काफी समस्या हो सकती है। यदि आपने ऐसे ही इस समस्या को अनदेखा किया तो आपको कई अन्य शारीरिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता हैं।
नींद में बड़बड़ाने की कुछ प्रमुख वजहें
एक प्रकार का पैरासोम्निया (Parasomnia) है
नींद में बोलने की आदत एक प्रकार का पैरासोमनिया कहलाता है। जिसका तात्पर्य है कि सोते समय अस्वाभाविक व्यवहार करना। कई मामलों में यह सामान्य ही है, किंतु जब यह हद से ज्यादा बढ़ जाए, तो इसका उपचार करवाना बहुत जरूरी हो जाता है।
किन्हें होता है ये अधिक
नींद में बोलने या बड़बड़ाने की परेशानी वयस्कों से कहीं ज्यादा किशोर से लेकर छोटे बच्चों में होती है। बच्चे कल्पना की दुनिया में खोए रहते हैं तथा नींद के माध्यम से ये सारी बातें, उनकी कल्पनाएं व्यक्त होती हैं। कुछ लोगों को ये समस्या अनुवाशिंक कारणों से भी होता है। एक शोध के मुताबिक, 10 में से 2 बच्चा हफ्ते में कई बार नींद में बात करता है तथा बड़बड़ाता है।
नींद में कौन बड़बड़ाता है?
बहुत से लोग नींद में बड़बड़ाते हैं। 3 से 10 आयु की के बीच के सभी बच्चों में से आधे बच्चे सोते वक्त बातचीत करते रहते हैं, तथा वयस्कों की एक छोटी संख्या - तकरीबन 5% - बिस्तर पर जाने के पश्चात बातचीत करते रहते हैं। ये कथन कभी-कभी या हर रात हो सकते हैं। साल 2004 के एक सर्वेक्षण से पता चला कि 10 में से 2 से अधिक छोटे बच्चे सप्ताह में कुछ रातों से ज्यादा समय तक नींद में बातचीत करते हैं।
लड़कियाँ भी नींद में उतनी ही बातें करती हैं जितनी लड़के।
इन प्रमुख कारणों से भी नींद में बड़बड़ाने की हो सकती है आदत
नींद में बोलना तथा बड़बड़ करने को पैरासोम्निया कहा जाता है। यह कोई बीमारी नहीं है, लेकिन इस व्यवहार से दूसरों को परेशानी हो सकती है। कुछ लोग नींद में 30 सेकेंड तक बोलते हैं, तो कुछ इससे भी अधिक। जब कोई व्यक्ति सोते समय बुरा सपना देखता है, तो भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है। कई बार आप जो चीजें दिन भर सोचते हैं, वही रात में भी सपनों में आती हैं, जिसके वजह से आप बड़बड़ाने लगते हैं।नींद में बात करना किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाता है, किंतु ये नींद विकार या स्वास्थ्य की बीमारी के तरफ संकेत करते हैं।
स्लीप डिसऑर्डर है
यदि आप नींद में बोलते या बड़बड़ाते हैं (sleep talking) या सवाल-जवाब करते हैं, तो यह कुछ हद तक सामान्य है। इसे आरईएम (REM) स्लीप बिहेवियर डिसऑर्डर (sleep disorder) भी कहा जाता है। जब आप नींद में भयावह हरकतें करते हैं जैसे चीखना, चिल्लाना, तो फिर आप सावधान हो जाएं। यह डिमेंशिया, पार्किंसन जैसी बीमारियों के लक्षण भी हो सकते हैं। आरईएम नींद उस नींद को कहते हैं, जिसमें सोता हुआ व्यक्ति सपने देखता है। कई बार स्वास्थ्य समस्या, मानसिक तनाव और मेडिकेशन के साइड इफेक्ट्स से भी यह परेशानी हो सकती है।
क्या इसका इलाज है संभव
नींद में बोलने की आदत लगातार बनी हुई है, तो इसे नजरअंदाज बिल्कुल ना करें। किसी अच्छे साइकियाट्रिस्ट से तुरंत मिलें और मशवरा ले। हालांकि, नींद में बोलने की आदत का कोई खास इलाज नहीं है और ना ही कोई दवा है, तो बेहतर होगा कि किसी साइकियाट्रिस्ट से ही इस समस्या का समाधान ढूंढे। योग तथा मेडिटेशन करें। किसी भी प्रकार के तनाव से खुद को दूर रखें। एक स्लीप डायरी बनाएं। अपने सोने-जागने की आदतों जैसे कब सोते हैं, कब-कब नींद में बोलते हैं, कब उठते हैं, रात में बीच में कब उठते हैं, इसके बारे में परिवार के सदस्यों से पूछें, क्या बोलते हैं। इससे आप अपनी इस हालत को डॉक्टर से तथा साइकियाट्रिस्ट से अच्छी तरह से बता पाएंगे।
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