क्या आप भी सोते समय नींद में बड़बड़ाते हैं? ये हैं कारण
आखिर क्या कारण है कि कुछ लोग नींद में बड़बड़ाते है या बातें करते हैं? ऐसा माना जाता है कि लोग सपना देखते हैं, इसलिए बड़बड़ाते हैं। वास्तव में उन्हें इस बात का जरा सा भी अहसास नहीं होता कि सोते समय वो क्या करते हैं। आइए आज इस आर्टिकल के माध्यम से, नींद में बड़बड़ाने की समस्या के कारण, लक्षण और उसके इलाज के बारे में जानते है।
नींद में बोलने की बीमारी
नींद में बात करना (Sleep Talking) एक नींद संबंधी विकार है जिसे पैरासोमनिया (Parasomnia) कहते हैं। हालाँकि, इससे कोई नुकसान नहीं होता है और इसे कोई मेडिकल समस्या नहीं माना जाता है। लेकिन जो लोग नींद में बात करते हैं, वे सामान्य से लेकर तेज़ आवाज़ तक कुछ भी बोल सकते हैं। उन्हें पता नहीं होता कि वे क्या बोल रहे हैं।
क्या आपका पार्टनर, परिवार के बाकी सदस्यों का ये कहना है कि आप रात में सोते समय नींद में बड़बड़ाते (sleep talking habit) हैं? आपकी इस नींद में बड़बड़ाने की समस्या से आपके साथ में सो रहे लोगों को भी काफी समस्या हो सकती है। यदि आपने ऐसे ही इस समस्या को अनदेखा किया तो आपको कई अन्य शारीरिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता हैं।
नींद में बड़बड़ाने की कुछ प्रमुख वजहें
यह नींद और सपने देखने से संबंधित हो भी सकता है और नहीं भी। अगर आप बहुत ज़्यादा तनाव में हैं, लगातार दवा ले रहे हैं, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी कोई विकार है या आप ड्रग्स का सेवन करते हैं, तो ये सभी पदार्थ नींद में बात करने को बढ़ावा दे सकते हैं।
नींद में बड़बड़ाने के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:
एक प्रकार का पैरासोम्निया (Parasomnia) है
नींद में बोलने की आदत एक प्रकार का पैरासोमनिया कहलाता है। जिसका तात्पर्य है कि सोते समय अस्वाभाविक व्यवहार करना। कई मामलों में यह सामान्य ही है, किंतु जब यह हद से ज्यादा बढ़ जाए, तो इसका उपचार करवाना बहुत जरूरी हो जाता है।
ये अधिक किसे होता है
नींद में बोलने या बड़बड़ाने की परेशानी वयस्कों से कहीं ज्यादा किशोर से लेकर छोटे बच्चों में होती है। बच्चे कल्पना की दुनिया में खोए रहते हैं तथा नींद के माध्यम से ये सारी बातें, उनकी कल्पनाएं व्यक्त होती हैं। कुछ लोगों को ये समस्या अनुवाशिंक कारणों से भी होता है। एक शोध के मुताबिक, 10 में से 2 बच्चा हफ्ते में कई बार नींद में बात करता है तथा बड़बड़ाता है।
नींद में कौन बड़बड़ाता है?
बहुत से लोग नींद में बड़बड़ाते हैं। 3 से 10 आयु के बीच के सभी बच्चों में से आधे बच्चे सोते वक्त बातचीत करते रहते हैं, तथा वयस्कों की एक छोटी संख्या - तकरीबन 5% - बिस्तर पर जाने के पश्चात बातचीत करते रहते हैं। ये कथन कभी-कभी या हर रात हो सकते हैं। साल 2004 के एक सर्वेक्षण से पता चला कि 10 में से 2 से अधिक छोटे बच्चे सप्ताह में कुछ रातों से ज्यादा समय तक नींद में बातचीत करते हैं।
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लड़कियाँ भी नींद में उतनी ही बातें करती हैं जितनी लड़के।
इन प्रमुख कारणों से भी पड़ सकती है नींद में बड़बड़ाने की आदत
नींद में बोलना तथा बड़बड़ करने को पैरासोम्निया कहा जाता है। यह कोई बीमारी नहीं है, लेकिन इस व्यवहार से दूसरों को परेशानी हो सकती है। कुछ लोग नींद में 30 सेकेंड तक बोलते हैं, तो कुछ इससे भी अधिक। जब कोई व्यक्ति सोते समय बुरा सपना देखता है, तो भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है। कई बार आप जो चीजें दिन भर सोचते हैं, वही रात में भी सपनों में आती हैं, जिसके वजह से आप बड़बड़ाने लगते हैं।नींद में बात करना किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाता है, किंतु ये नींद विकार या स्वास्थ्य की बीमारी के तरफ संकेत करते हैं।
नींद विकार (Sleep Disorder) क्या है?
यदि आप नींद में बोलते या बड़बड़ाते हैं (sleep talking) या सवाल-जवाब करते हैं, तो यह कुछ हद तक सामान्य है। इसे तीव्र नेत्र गति नींद (REM sleep) व्यवहार नींद विकार (sleep disorder) भी कहा जाता है। जब आप नींद में भयावह हरकतें करते हैं जैसे चीखना, चिल्लाना, तो फिर आप सावधान हो जाएं। यह डिमेंशिया, पार्किंसन जैसी बीमारियों के लक्षण भी हो सकते हैं। तीव्र नेत्र गति नींद उस नींद को कहते हैं, जिसमें सोता हुआ व्यक्ति सपने देखता है। कई बार स्वास्थ्य समस्या, मानसिक तनाव और मेडिकेशन के साइड इफेक्ट्स से भी यह परेशानी हो सकती है।
क्या इसका इलाज है संभव
नींद में बोलने की आदत लगातार बनी हुई है, तो इसे नजरअंदाज बिल्कुल ना करें। किसी अच्छे साइकियाट्रिस्ट से तुरंत मिलें और मशवरा ले। हालांकि, नींद में बोलने की आदत का कोई खास इलाज नहीं है और ना ही कोई दवा है, तो बेहतर होगा कि किसी साइकियाट्रिस्ट से ही इस समस्या का समाधान ढूंढे। योग तथा मेडिटेशन करें। किसी भी प्रकार के तनाव से खुद को दूर रखें। एक स्लीप डायरी बनाएं। अपने सोने-जागने की आदतों जैसे कब सोते हैं, कब-कब नींद में बोलते हैं, कब उठते हैं, रात में बीच में कब उठते हैं, इसके बारे में परिवार के सदस्यों से पूछें, क्या बोलते हैं। इससे आप अपनी इस हालत को डॉक्टर से तथा साइकियाट्रिस्ट से अच्छी तरह से बता पाएंगे।
नींद की बड़बड़ाहट से पाए छुटकारा करे ये उपाय
हम सब नींद में बड़बड़ाहट को एक आम बात समझते हैं पर अगर बहुत ज्यादा बढ़ जाए तो इन टिप्स को अपनाकर हम इससे राहत पा सकते हैं:
तनाव और चिंता कम करें
जब आपका दिमाग तनाव में होता है, तो रात को बड़बड़ाना शुरू हो सकता है। अगर आप दिनभर के तनाव को न कम करेंगे, तो रात को आराम नहीं मिलेगा। इसलिए, योग, ध्यान या गहरी सांस लेने की कोशिश करें। रात को सोने से पहले अपनी चिंताओं को कागज पर लिखकर मन को हल्का करें, ताकि रात को चैन से सो सकें।
नियमित नींद लें
अगर आप समय पर नहीं सोते, तो नींद का खराब होना तय है। अनियमित सोने से नींद में रुकावट आती है। दिनभर थकावट और गुस्सा महसूस होगा। इसलिए, हर रात कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें। यही सही तरीका है ताकि रात को बड़बड़ाहट न हो।
कैफीन और भारी भोजन से बचें
अगर आप सोने से पहले चाय, कॉफी या भारी भोजन करेंगे, तो नींद में खलल पड़ेगा। इससे बड़बड़ाहट की समस्या और बढ़ सकती है। सोने से 4-6 घंटे पहले इन चीजों से दूर रहें।
स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं
अगर आप स्वस्थ नहीं होंगे, तो नींद की क्वालिटी भी खराब होगी। यदि आप फिट नहीं होंगे, तो नींद पूरी नहीं होगी। शराब और नशीली चीजों से दूर रहें, वरना नींद खराब होगी।
नियमित नींद की दिनचर्या बनाएं
अगर आप हर रात एक जैसा रूटीन अपनाते हैं, तो नींद में सुधार होगा। सोने से पहले एक ही काम करें, जैसे हल्का संगीत सुनना या कुछ शांत क्रिया। इससे आपको नींद अच्छी आएगी।
उपयोग करे Sleepsia माइक्रो फाइबर फॉर स्लीपिंग पिलो
यदि आप अपने नींद में व बड़बड़ाने की समय से छुटकारा पाने चाहते हैं और गहरी और अच्छी नींद प्राप्त करना चाहते है तो सोने के लिए Sleepsia के माइक्रो फाइबर तकिया (Microfiber Pillow) का उपयोग कर सकते है। यह तकिया सोने में उपयोग करने में काफी हल्का और आरामदायक होता है, जो आपकी अच्छी तथा सेहतमंद नींद में बहुत ही अधिक मदद प्रदान करता है।